इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर पवित्र मेरापी पर्वत का भ्रमण

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मेरे इंडोनेशिया भ्रमण के प्रथम दिवस ही मैंने मेरापी पर्वत का दर्शन किया था। हम जावा द्वीप के योग्यकर्ता नगर में थे। सर्वप्रथम धान के खेतों में पदभ्रमण करते हमने आनंद से भरा दिन का समय व्यतीत किया था।  इसके पश्चात हम इस ज्वालामुखी पर्वत के दर्शन के लिए चल दिए।

मेरापी पर्वत एवं उसके ज्वालामुखी विस्फोट

मेरापी का शाब्दिक अर्थ है, अग्नि पर्वत। वास्तव में एक यह ज्वालामुखी है जो समय समय पर अग्नि के साथ लावा उगलता है तथा चारों ओर ज्वालामुखी की राख बिखेरता रहता है। यह देखने में एक भयंकर आपदा प्रतीत होता है किन्तु यह जीवनदायी भी होता है। ज्वालामुखी द्वारा जो लावा एवं राख धरती के गर्भ से बाहर आते हैं, वे अपने साथ विविध खनिज पदार्थों का भण्डार भी लाते हैं तथा पर्वत के चारों ओर की भूमि को सर्वाधिक उर्वरित भूमि में परिवर्तित कर देते हैं। इसीलिए इसमें आश्चर्य नहीं है कि यह क्षेत्र जावा द्वीप का सर्वाधिक सघन जनसंख्या वाला क्षेत्र है।

मेरापी पर्वत ज्वालामुखी
मेरापी पर्वत ज्वालामुखी

समुद्र सतह से २९११ मीटर ऊँचा मेरापी पर्वत इंडोनेशिया के १२९ सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। यह ज्वालामुखी नियमित रूप से फटता रहता है। इसके गत कुछ उत्सर्जनों की चर्चा की जाए तो यह ज्वालामुखी १९९४, २००६, २०१० तथा २०१३ में फटा था जिसमें २०१० में हुआ उत्सर्जन अति विकराल व भयावह था। इस विस्फोट में अनेकों निरीह जीवों ने अपने प्राण गँवा दिए थे जिनमें वे भी सम्मिलित थे जो इस ज्वालामुखी से बचने के लिए तलघरों में निवास कर रहे थे। इस भीषण तांडव के चलते लगभग दो मास तक इस क्षेत्र में गंभीर चेतावनी का पालन किया गया था।

मेरापी पर्वत में ११वीं सदी के आरंभ में हुए ज्वालामुखी विस्फोट को ही जावा के प्राचीन माताराम साम्राज्य के आकस्मिक लोप का कारण माना जाता है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बोरोबुदूर मंदिर एवं प्रमबनन मंदिर भी भिन्न भिन्न काल में ज्वालामुखी की राख के नीचे दब गए थे।

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ज्वालामुखी के विषय में लोगों की सामान्य धारणा के विरुद्ध, जावा के निवासियों का मानना है कि मेरापी पर्वत उनका संरक्षक व रक्षक देवता है। उनकी मान्यता है कि उसके आशीर्वाद से ही वे एक दूसरे के साथ सौहार्दपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं। वे यह भी मानते हैं कि ज्वालामुखी फटने से पूर्व मेरापी पर्वत उन्हें पूर्व सूचना प्रदान करेगा तथा उन्हें स्पष्ट संकेत देगा कि अब उन्हें वह स्थान छोड़कर अन्यत्र जाना होगा।

मेरापी पर्वत से संबंधित किवदंतियाँ

मेरापी शब्द की व्युत्पत्ति दो शब्दों के संयोग से हुई है, मेरु व अपि। ये दोनों संस्कृत भाषा के शब्द हैं। जैसा कि आप जानते हैं, मेरु शब्द का अर्थ है, पर्वत। वस्तुतः यह उस मेरु पर्वत की ओर संकेत करता है जिसका अनेक भारतीय ग्रंथों में उल्लेख किया गया है। अपि का अर्थ है, अग्नि। इस पर्वत का नाम अत्यंत योग्य प्रतीत होता है।

पावन मेरापी पर्वत - जावा द्वीप इंडोनेशिया
पावन मेरापी पर्वत – जावा द्वीप इंडोनेशिया

ऐसा कहा जाता है कि यह पर्वत उत्तर-दक्षिण अक्ष पर स्थित है जहाँ उत्तरी छोर पर मेरापी पर्वत है तथा दक्षिणी छोर पर हिन्द महासागर है। यह काल्पनिक रेखा मेरापी पर्वत से होते हुए जाती है जिसे देवताओं का निवासस्थान कहा जाता है। वहाँ से यह रेखा क्रोटोन जाती है जो राजा का महल है। तत्पश्चात वह टुगु योग्य(Jogja) से होकर जाती है जहाँ सामान्य जनता निवास करती है। अंततः वह समुद्र से जा मिलती है जो प्रकृति की ओर संकेत करती है। दार्शनिक रूप से विश्लेषण किया जाए तो यह देवताओं को राजा से जोड़ती है, राजा को प्रजा से तथा प्रजा को प्रकृति से जोड़ती है। यह एक पवित्र अनुगमन माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि हॉलैंड वासियों(डच) ने इस पवित्र भौगोलिक मान्यता को खंडित करने के उद्देश्य से इस अनुगमन मार्ग को काटते हुए यहाँ एक रेल मार्ग का निर्माण किया था। किन्तु इन मान्यताओं की जड़ें अत्यंत गहन व सुदृढ़ हैं। इसीलिए ये अब भी बनी हुई हैं।

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जावा निवासियों की मान्यता है कि जब देवताओं ने पृथ्वी की रचना की थी तब जमुर्दिपो पर्वत (जंबुद्वीप?) का जावा द्वीप के पश्चिमी छोर पर स्थित होने के कारण द्वीप संतुलित नहीं था। उसका संतुलन बनाए रखने के लिए उन्होंने जमुर्दिपो पर्वत को जावा द्वीप के मध्य में खिसकने का आदेश दिया जहाँ दो पौराणिक पात्र, अस्त्रकार एम्पू राम व एम्पू पेर्मादी अपने राज्य के साथ पहले से ही निवास कर रहे थे। देवताओं द्वारा चेतावनी पाने के पश्चात भी दोनों ने उस स्थान का समर्पण नहीं किया। क्रोध में देवताओं ने उन के ऊपर ही जमुर्दिपो पर्वत को स्थापित कर दिया।

अतः लोगों की मान्यता है कि एम्पू राम व एम्पू पेर्मादी अपने राज्य के साथ इस ज्वालामुखी पर्वत के नीचे निवास करते हैं तथा अग्नि उगलते रहते हैं। एक अन्य किवदंती के अनुसार एम्पू राम व एम्पू पेर्मादी की स्मृति में जमुर्दिपो पर्वत का ही नाम परिवर्तित कर मेरापी पर्वत रख दिया गया है जिसका अर्थ होता है, राम एवं पेर्मादी की अग्नि।

जैसा कि मैंने पूर्व में बताया था कि जावा निवासी मेरापी पर्वत को उनका संरक्षक मानते हैं तथा राम एवं पेर्मादी को अपना संरक्षक देवता। इसी मान्यता के अंतर्गत वे मेरापी पर्वत पर चढ़ावा चढ़ाते हैं। योग्यकर्ता के राजा के राज्याभिषेक दिवस की वर्षगाँठ दिवस पर विशेष चढ़ावे चढ़ाए जाते हैं। इन चढ़ावों को राजा के महल से मेरापी पर्वत तक ले जाया जाता है। साथ ही समुद्र को भी चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इस प्रकार वे अग्नि तत्व एवं जल तत्व दोनों को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

सीसा हर्तकु – स्मृतियों का संग्रहालय

सीसा हर्तकु का शाब्दित अर्थ है, ‘मेरी शेष संपत्ति’ संग्रहालय। यह एक निवासगृह है जो अब स्मृतियों का एक संग्रहालय है। वाहन द्वारा इस संग्रहालय तक पहुँचने के लिए हमने अनेक गाँवों को पार किया जिनका संबंध मुख्य मार्ग से कटा हुआ था। वहाँ जाती सड़कों पर लावा निर्मित शिलाखंड बिखरे हुए थे।

सीसा हर्तकु – स्मृतियों का संग्रहालय
सीसा हर्तकु – स्मृतियों का संग्रहालय

हमने सीसा हर्तकु निवासगृह के भीतर प्रवेश किया जो परित्यक्त सा प्रतीत होता है। इसके भीतर हमने पशुओं के कुछ कंकाल एवं कुछ जीवाश्म देखे। हम जैसे जैसे गृह के भीतर विचरण करने लगे, मुझे ऐसा आभास हो रहा था मानो यह निवासगृह किसी समय अग्नि की चपेट में रहा हो। गृह में रखी दातौन, लौह संदूक, बच्चों की सायकलें जैसे दैनन्दिनी प्रयोग की प्रत्येक वस्तु उस आघात व कटु अनुभव की गाथा कह रही थी जब मेरापी पर्वत अग्नि उगलने लगा था। प्रत्येक वस्तु अपने स्थान पर स्थित थी किन्तु वो अपने पूर्ववत मूल स्थिति में नहीं थी। प्रत्येक वस्तु का वही भाग शेष था जो अग्नि परीक्षा में सफल हुआ था। वहाँ कुछ चित्र थे जिनमें पुरातन स्मृतिओं को पुनर्रचित कर दर्शाया गया था।

ज्वालामुखी से रुकी घडी
ज्वालामुखी से रुकी घडी

वहाँ का सम्पूर्ण दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह स्थान ५ नवम्बर २०१०, ५ बज कर १५ मिनट से अपनी अवस्थिति में ज्यों का त्यों जम गया है। आप सोच रहे होंगे कि मैंने यह समय किस आधार पर लिखा है! वहाँ की एक भित्ति पर एक घड़ी है जो ज्वालामुखी की तीव्र ऊष्मा में उसी समय पर स्थिर हो गयी है।

हम सब अत्यंत क्लांत मनःस्थिति में उस आवासगृह से बाहर आये। हम सब की मानसिक स्थिति दुखद थी। साथ ही हम सब को प्रकृति की शक्ति का भी आभास हो रहा था जो एक क्षण में हमारा अस्तित्व समाप्त कर सकती है।

बंकर कालियाडेम

यह एक तलघर है जिसका प्रयोग ज्वालामुखी के प्रकोप से बचने के लिए किया जाता है। किन्तु यह भी सत्य है कि सन् २०१० में फूटे ज्वालामुखी में इस तलघर में छुपे दो नागरिकों की भी मृत्यु हो गयी थी।

बंकर कालियाडेम  
बंकर कालियाडेम  

यदि आकाश निर्मल हो तो शुण्डाकार मेरापी पर्वत को यहाँ से देखा जा सकता है। अन्यथा अधिकांशतः आप पर्वत से निकलते धुंए को अवश्य सकते हैं। पर्यटन परिदर्शक आपको सूर्योदय दिखाने के आमिष पर यहाँ आने के लिए कह सकता है। किन्तु सूर्य इस पर्वत के ऊपर से नहीं उगता है।

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मैं जिस दिन वहाँ पहुँची थी, वर्षा हो रही थी। मुझे वहाँ केवल धूसर रंग की भिन्न भिन्न गहनता भिन्न भिन्न हरे रंगों के साथ खेलती हुई दिखाई दीं। वहाँ सड़क के एक ओर स्थित चाय की दुकान पर हमने चाय पी थी जिसके लिए हमने ५,००० इंडोनेशिया रुपिया भुगतान किया था। आश्चर्य चकित हो गए? भारतीय मुद्रा में यह केवल २५ रुपये होते हैं।

मार्ग में आप एक विशाल चट्टान देखेंगे जिसे बाटू एलियन कहते हैं। इसका अर्थ है, परग्रह मानव चट्टान। चट्टान का यह टुकड़ा सन् २०१० में पर्वत से टूट कर यहाँ गिर गया था। यह विशाल मानव का मुख सा प्रतीत होता है।

काली कुनिंग नदी में रोमांचक जीप सवारी

काली कुनिंग नदी में जीप सवारी
काली कुनिंग नदी में जीप सवारी

जीप भ्रमण करते हुए हम इसके एक रोमांचक पड़ाव पर पहुँचे जहाँ जीप को काली कुनिंग नदी के बहते हुए जल में चलाया जाता है। यह पर्यटकों को रोमांच प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है। चूँकि हमारा विशाल समूह था तथा हमारे पास अनेक जीपें थीं, हमें इस रोमांच में अत्यधिक आनंद आया। सभी नदी के उबड़-खाबड़ तल पर जल को काटते हुए हिचकोले खाते हुए जा रहे थे। हम व हमारी मित्र मंडली रोमांचित हो आनंद से कोलाहल करने लगे थे।

पर्वतारोहण

समय समय पर फूटता तथा धुंआ, लावा व राख उगलता मेरापी पर्वत सदा रोमांच प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। यहाँ अनेक पर्यटन आयोजक हैं जो पर्वत शिखर तक पर्वतारोहण का आयोजन करते हैं। यह पर्वतारोहण दिवस तथा रात्रि दोनों समय आयोजित किया जाता है। रात्रि पर्वतारोहण सूर्योदय पर समाप्त होता है। मेरा अनुमान है कि उस समय परिदृश्य अत्यंत मनोरम होता होगा। आप आधार शिविर तक भी पदभ्रमण के लिए जा सकते हैं।

हमने एक लावा भ्रमण किया था जिसके अंतर्गत हमने संग्रहालय दर्शन, बंकर दर्शन तथा नदी में रोमांचक जीप सवारी की थी। इन सब के लिए आधा दिवस पर्याप्त है। दोपहर के भोजन के उपरांत हम वहाँ से योग्यकर्ता के लिए निकले तथा रात्रि भोजन से पूर्व वहाँ पहुँच गए।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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