कहा जाता है कि अगर आप एक बार हिमालय गए तो फिर हिमालय आपको वापस बार-बार आपको अपनी और खींचता है। इसका आभास मुझे पिछले एक साल में हुआ। पिछले साल मैंने हिमाचल की लाहौल-स्पीति घाटी में दो हफ्ते गुजारे। इसके कुछ समय बाद मुझे गुलमार्ग में आमंत्रित किया गया। मेरे नए साल की शुरुवात भी जनवरी के पहले सप्ताह में ‘सर्दियों में लदाख’ के अनुभव के साथ हुई। इसी साल मुझे अप्रैल और मई में सिक्किम और दार्जिलिंग में कंचनजंगा पर्वतमाला पर समय बिताने का अवसर मिला।
हिमालय की ऊंचाइयों की उत्साहपूर्ण सवारी
फिर बारिश के मौसम में मैं लंदौर में गढ़वाल क्षेत्र का अन्वेषण कर रही थी। ऐसा लगता है की जब आप और एक कदम लेते हैं तो हिमालय आपको वापिस बुलाने के लिए १० कदम लेता है।
हिमालय के अधिकतर क्षेत्रों की जनसंख्या बहुत कम है। यहां पर अक्सर आप खुद को इन कच्ची सड़कों पर, असंख्य परिदृश्यों के बीच अकेले ही अपना रास्ता बनाते हुए पाएंगे। यहां के निचले क्षेत्र वनस्पतियों से हरे-भरे रहते हैं, तो ऊपरी क्षेत्र या तो बर्फ से ढके होते हैं या फिर खुले मैदानों की भांति दिखाई देते हैं। सड़कें, खासकर वे जो लद्दाखओर जाती हैं, बाइकर्स के अत्यंत पसंदीदा मार्ग हैं। हर अगले की. मी. पर हमे इन सड़कों पर बाइकर्स की टोली मिलती रही, जो सड़कों पर सवारी करते हुए, छोटी बड़ी नदियां पार करते हुए, या अपने शिविरों में आराम करते नज़र आते। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ क्षेत्रों में बाइक पर्यटन ही पर्यटन की आधारशिला बन चुका है।
खतरों
कुछ दिनों पहले मैं यूट्यूब पर कुछ विडियो देख रही थी जो की यात्राओं के बारे में बता रहे थे। ऐसे ही देखते-देखते मुझे एक ऐसा विडियो दिखा जिसमें, विश्व के सबसे ऊंचे और वाहन जाने योग्य रास्ते, जो खरडूंगला दर्रे पर स्थित है, पर सवारी करनेवाली भारत के विभिन्न क्षेत्रों की 11 महिलायों के बारे में दिखाया जा रहा था। उनकी इस यात्रा की सबसे आकर्षक बात थी उनकी टी.वी.एस. स्कूटी की सवारी। हर एक के पास अपने पसंदीदा रंग की स्कूटी थी। इन स्कूटियों के साथ उनको खतरों से भरी ऊंचाइयों की सवारी करते देखना बहुत ही दिलचस्प और विस्मयजनक था। मैं तो सिर्फ सबसे ऊंचे स्थल, जहां पर पहुंचा जा सकता है, तक जाने की कल्पना से ही खुश हो जाती हूँ। गज़ब की बात तो यह थी कि उस ऊंचाई तक जाने का उनका तरीका बहुत ही असाधारण और अपरंपरागत था।
इन युवतियों के बारे में थोड़ा और पढ़ने पर मुझे ज्ञात हुआ कि छोटी सी अनाम हाशिम ने यह यात्रा एक साल पहले अकेले ही की थी। उसने यह यात्रा अपनी टी.वी.एस. स्कूटी ज़ेस्ट 110 में पूरी की थी। अनाम को मेरा सलाम। इस साल उसके साथ मेघा चक्रवर्ती, काइनूर मिस्त्री, रोशनी सोंकूवर, गरिमा कपूर, एब्रोनाथ डोरोथी, पल्लवी फौजदार, अंतरा पल, तृप्ति सरमलकर, सुरभि तिवारी और श्रुति नायडू भी थीं। इस सवारी के लिए इन युवतियों का चुनाव 50,000 आवेदकों में से कठोर प्रक्रिया के द्वारा किया गया था।
लड़कियों के बीच आपस में पनप रहे बंधन को
इन लड़कियों के बीच आपस में पनप रहे बंधन को, अपनी-अपनी स्कूटी के साथ उनके बढ़ते लगाव को और हिमालय के साथ जुडते बंधन को देखना बहुत ही प्यारा और सुंदर था। इसलिए यह कहना कि वे ऊंचाइयों पर थे, बाकी सभी बातों पर पर्दा डालने जैसा होगा।
उनमें से एक लड़की जब रंगों के बारे में बता रही थी तो मुझे याद आया कि जब मैंने ज़न्स्कार नदी पर जमे बर्फ को पहली बार देखा था तो सही मायने में कही रंगों को पहली बार पहचाना था। मेरे लिए वे रंग और भी अर्थपूर्ण बन गए। उनकी इस पूरी यात्रा के अनुभव से मैं स्वाभाविक रूप से जुड़ती चली गयी। हाँ, आज हम किसी भी जगह पर वास्तव में जाने से पहले उससे संबन्धित सैकड़ो तस्वीरें और विडियो देख सकते हैं। लेकिन वास्तव में उस जगह पर जाकर उसे महसूस करने का अनुभव अलग ही होता है, जिसकी तुलना किसी भी तस्वीर या विडियो से नहीं की जा सकती। आप जब वास्तव में वहाँ पर खड़े होते हैं तो आपका रोम-रोम उस अनुभव को जीता है।
वातावरण
वहाँ का वातावरण ही ऐसा है जो आपको अपने में समेट लेता है और आप अनजाने ही उसमें एकजीव होते हैं, उसमें घुल जाते हैं। हिमालय की ऊंचाइयों पर खड़े रहने की तुलना जीवन की किसी ऊंचाई से नहीं की जा सकती। इन पर्वतों को देखकर आपको यह आभास होता है कि, आप इनके समुख कितने छोटे हैं. यह भी याद दिलाया जाता है कि महासागर की गहराइयों से भी आसमान की ऊंचाइयों को छूने वाले पर्वत उभर सकते हैं।
इन विडियो को देखना, यानि इन 11 लड़कियों के साथ की यात्रा पर जाने जैसा था और हिमालय पर अपनी यात्रा को फिर से जीने जैसा था। जब मैंने अनाम की अकेले की यात्रा के बारे में पढ़ा तो मुझे बहुत साल पहले की मेरी भूटान यात्रा की याद आयी जो मैंने अकेले ही की थी। तथा उनकी समूहिक यात्रा ने मुझे दोस्तों और परिवार के साथ की हुई अपनी यात्राओं की याद दिलाई।
अंततः प्रत्येक यात्रा आगे की यात्रा के लिए हमे प्रेरित करती है। इन लड़कियों के अनुभवों ने मुझे ऊंचाइयों को महसूस करने के लिए और एक यात्रा के लिए प्रेरित किया।