नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क अथवा नंदनकानन प्राणी उद्यान, ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में भ्रमण करने आए पर्यटकों का एक लोकप्रिय गंतव्य! यह उद्यान भुवनेश्वर के लोगों का भी अत्यंत प्रिय भ्रमण स्थल है। स्थानीय भाषा, ओडिया में नंदनकानन के शाब्दिक अर्थ कुछ इस प्रकार हैं, ‘स्वर्ग का बगीचा’ या ‘स्वर्गिक आनंद’ अथवा ‘सुख का बाग’ या ‘देवों का दिव्य उद्यान’।
भुवनेश्वर से लगभग १५ किलोमीटर दूर स्थित यह उद्यान खोर्धा जिले के जुझगढ़ वनीय क्षेत्र में स्थित है। यह लगभग १००० एकड़ से कुछ अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह सम्पूर्ण हराभरा क्षेत्र इतना विशाल है कि १३० एकड़ में फैली कंजिया सरोवर की विशाल व महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि को अपने भीतर समाया हुआ है। नंदनकानन प्राणी उद्यान की स्थापना सन् १९६० में हुई थी जिसके एक दशक पश्चात इसे जनसामान्य के लिए खोला गया था।
नंदनकानन प्राणी उद्यान, वनीय क्षेत्र के भीतर, प्राकृतिक परिवेश के मध्य में बनाया गया है। इस उद्यान में प्राणियों को विशाल बाड़ों में रखा गया है जिन्हे विशेष रूप से उनके मूल प्राकृतिक आवासों के रूप प्रदान किए गए हैं ताकि वे उनमें स्वाभाविक रूप से बस सकें तथा स्वस्थ जीवन जी सकें।
नंदनकानन प्राणी उद्यान भारत के विशालतम प्राणी उद्यानों में से एक है। इस उद्यान ने, अनेक मापदण्डों में, वैश्विक स्तर पर प्रथम पद अर्जित किया है। इस प्राणी उद्यान को अनेक विशिष्टताओं से विभूषित किया गया है। भारतीय रेल ने एक एक्सप्रेस रेल का नामकरण, इस प्राणी उद्यान के नाम पर, नंदनकानन एक्सप्रेस किया है।
नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क अथवा नंदनकानन प्राणी उद्यान
नंदनकानन प्राणी उद्यान को सुव्यवस्थित खाके के अंतर्गत उत्तम रीति से निर्मित किया गया है। इस उद्यान के मुख्य आकर्षण हैं-
- प्राणियों की लगभग १५०० विभिन्न प्रजातियों से युक्त एक विशाल प्राणी उद्यान
- वनस्पति उद्यान एवं तितली उद्यान
- सिंहों, बाघों, हिरणों एवं भालुओं के बाड़ों मे भीतर सफारी भ्रमण
- कंजिया सरोवर में नौका विहार – यंत्रचलित नौकाओं एवं पैडल स्वचालित नौकाओं में जलविहार
- उभयचरों या जलथलचरों के घेरे
- मछलीघर
- बच्चों की छोटी रेलगाड़ी
- पुस्तकालय
- निशाचर प्राणियों एवं पक्षियों की बाड़
- सरीसृप अथवा रेंगने वाले प्राणियों का केंद्र
- संग्रहालय
- चिड़ियाघर
- लगभग ७०० प्रजातियों के विभिन्न स्थानिक वृक्षों से भरा वनीय क्षेत्र
- इस उद्यान का प्राकृतिक वनीय क्षेत्र, स्तनपायियों की १३ विभिन्न प्रजातियों, सरीसृपों की १५ प्रजातियों, पक्षियों की लगभग १७९ प्रजातियों, उभयचरों या जलथलचरों की २० विभिन्न प्रजातियों, तितलियों की ९६ भिन्न भिन्न प्रजातियों तथा मकड़ियों की भी ५१ विभिन्न प्रजातियों का आवासक्षेत्र है।
- नंदनकानन प्राणी उद्यान के आधिकारिक वेबस्थल पर नंदनकानन वन्यजीव अभयारण्य में उपस्थित पक्षियों की विस्तृत सूची है। उन्हे ‘Arial feeding bird’, ‘Arboreal bird’, ‘Birds of prey’, ‘Ground feeding bird’ तथा ‘Wetland birds’, इन उपनामों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। यदि आप पक्षी प्रेमी अथवा नभचर प्रेमी हैं तो यह जानकारी अवश्य देखें।
प्राणी उद्यान एवं वनस्पति उद्यान से संबंधित जानकारी
- नंदनकानन प्राणी उद्यान में जनसाधारण के लिए भ्रमण समयावधि, अप्रैल से सितंबर मास तक प्रातः ७:३० बजे से सायं ५:३० बजे तक तथा अक्टूबर से मार्च मास तक प्रातः ८ बजे से सायं ५ बजे तक है।
- नंदनकानन प्राणी उद्यान प्रत्येक सोमवार के दिन बंद रहता है।
- नंदनकानन प्राणी उद्यान में प्रवेश के लिए ५० रुपये का नाममात्र प्रवेश शुल्क निर्धारित है।
- पशु सफारी एवं नौका विहार हेतु अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है।
- केवल उच्च स्तर के चलचित्र कैमरे एवं चित्रपट छायाचित्रण हेतु अतिरिक्त शुल्क निर्धारित हैं।
- नंदनकानन प्राणी उद्यान में पर्यटकों के लिए अनेक सुविधाएं हैं। इनमें प्रमुख हैं, पेयजल गुमटियाँ, शौचालय संकुल, वाहन प्रतीक्षा स्थल, पर्यटक विश्राम कक्ष, जलपानगृह, समान-कक्ष, विकलांगों हेतु पहियेदार कुर्सियाँ, प्रथम उपचार सुविधाएं, बैटरी चलित वाहन, मार्गदर्शक नक्शे, स्मारिका दुकानें, शिशु देखरेख सुविधाएं इत्यादि।
नंदनकानन प्राणी उद्यान में भ्रमण का मेरा अनुभव
नंदनकानन प्राणी उद्यान एक अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध गंतव्य है। अतः उसका प्रभाव भी अवश्य दृष्टिगोचर होगा। हम वर्ष २०२० के जनवरी मास में नंदनकानन प्राणी उद्यान में भ्रमण करने गए थे। प्राणी उद्यान के प्रवेशद्वार पर प्रवेशपत्र प्राप्त करने के लिए शालेय विद्यार्थियों की लंबी पंक्ति थी। सौभाग्य से शालेय विद्यार्थियों एवं अन्य पर्यटकों के लिए पृथक पंक्तियाँ थीं। प्राणी उद्यान के कर्मचारियों द्वारा पर्यटकों की भीड़ को सुचारु रूप संचालित किया जा रहा था। उद्यान में प्रवेश करने के लिए हमें १० मिनट से भी कम समय लगा। आपको यह जानकर अचरज होगा कि गत कुछ वर्षों से नंदनकानन प्राणी उद्यान में, प्रतिवर्ष ३० लाख से भी अधिक पर्यटक आते रहे हैं। इसका तात्पर्य है कि इस उद्यान में भ्रमण हेतु लगभग १०,००० पर्यटक प्रतिदिन आते हैं।
मेरा परामर्श है कि यदि आप इन प्राणियों के दर्शन करना चाहते हैं तो भ्रमण से पूर्व ही उनके विषय में आवश्यक विवरण प्राप्त करें। तत्पश्चात उनका अवलोकन करें। पर्यटन-परिदर्शक अथवा गाइड की सेवाएं ना लें। सामान्यतः ये परिदर्शक अत्यंत संक्षिप्त में आपको इन प्राणियों की जानकारी देकर शीघ्रता से आपका भ्रमण सम्पूर्ण कर देते हैं ताकि आपके पश्चात वे अन्य ग्राहक ले सकें। अतः परिदर्शक की सेवाएँ तभी लें जब आप भी शीघ्रता से उद्यान का भ्रमण पूर्ण करना चाहते हों। अन्यथा नहीं।
मांसभक्षी प्राणी
प्राणी उद्यान के भीतर भ्रमण करना हमारे अनुमान से अपेक्षाकृत कहीं अधिक आसान था। प्राणी उद्यान के भीतर पूर्वनिर्धारित पगडंडियाँ सुव्यवस्थित प्रकार से बनायी गई हैं जिन पर सभी संबंधित सूचनाएं एवं मार्गदर्शन अंकित हैं। प्राणी उद्यान के सभी बड़े प्राणियों के लिए पृथक विशाल बाड़ बनाए गए हैं। बाड़ों के भीतर पर्याप्त मात्रा में वृक्ष एवं झाड़ियाँ उगाए गए हैं जो उन्हे प्राकृतिक आवास प्रदान करते हैं। उनका परिवेश इतना प्राकृतिक वन सदृश बनाया गया है, कि आप जब भी सिंह, बाघ, तेंदुआ, सियार, जंगली कुत्ते इत्यादि के बाड़ों के समीप जाएं, तो आपको उनके दर्शन सहज ही प्राप्त नहीं होंगे। उनके दर्शन करने के लिए धीरज रखते हुए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वे जब भी विचरण करते हुए बाड़ की सीमा पर आते हैं तब ही आप उन्हे देख सकते हैं। अन्यथा झाड़ियों के मध्य उनकी एक झलक से ही आपको संतुष्ट होना पड़ेगा। अतः धीमी चाल तथा धीरज अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।
जब हम रीछ के बाड़ के समीप पहुंचे, वह अपने समान दर्शकों को देख कर चंचल हो उठा था। बाड़ के उस पार एक सिंहनी दहाड़ मार रही थी। उपस्थित दर्शक रीछ को अधिक करतब दिखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। साथ ही वे शांत भी थे ताकि दहाड़ मारती सिंहनी अधिक उत्तेजित ना हो जाए।
बाघ एवं तेंदुए अपनी प्रकृति के अनुसार एकांतप्रिय प्राणी प्रतीत हो रहे थे। वे दर्शकों से कुछ दूर बैठकर विश्राम कर रहे थे। बाघ वृक्षों की छाँव में, तो तेंदुए वृक्षों की शाखाओं पर चढ़कर बैठे थे। वृक्षों एवं पर्णसमूहों के मध्य उन्हे खोजने में कुछ समय लगा। जो भी पर्यटक उन्हे पहले खोज लेते थे वे दूसरों की सहायता के लिए उस ओर संकेत कर रहे थे।
हिरण
हिरणों के लिए भी एक विशाल बाड़ बनायी गई है ताकि वे उसके भीतर स्वच्छंद विचरण कर सकें। इस प्राणी उद्यान में बड़ी संख्या में हिरण विद्यमान हैं। ना तो दर्शकों को उन्हे देखने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है, ना ही उन हिरणों को दर्शकों की उपस्थिति व्याकुल करती है।
माउस डीयर अथवा छोटा हिरण हमारे लिए एक आश्चर्य से कम नहीं था। हमने इससे पूर्व ना तो उन्हे देखा था, ना ही उनके विषय में कभी पढ़ा था। इस दुर्लभ तथा संकोची प्राणी की लंबाई लगभग १५ इंच होती हैं। इसे इंडियन चेर्वोटैन के नाम से भी जाना जाता हैं। इस उद्यान में इनकी पर्याप्त संख्या है।
नंदनकानन प्राणी उद्यान में हिरणों की अनेक प्रजातियाँ बड़ी संख्या में विद्यमान हैं। सभी प्रकार के हिरण यहाँ दर्शकों की उपस्थिति में भी स्वच्छंद व सुरक्षित अनुभव करते प्रतीत हो रहे थे।
निशाचर प्राणी
निशाचर पशु-पक्षियों का भाग अत्यंत अंधकार भरा है। प्रकाश अत्यंत मंद होता है। इसके भीतर से जाते समय कुछ दर्शकों को किंचित असुविधा हो सकती है। किन्तु इस प्रकार के प्राणियों की सुविधा के लिए मंद प्रकाश अथवा अंधकार आवश्यक है। संकरी पगडंडी तथा पर्यटकों की अधिक संख्या के कारण हमें मंद प्रकाश छायाचित्र लेने में असुविधा हो रही थी। वहाँ एक बार्न उल्लू या श्वेत उल्लू को देखना मेरा प्रथम अनुभव था।
सरीसृप
इस उद्यान में सर्पों की अनेक प्रजातियाँ हैं। नाग से लेकर अजगर तक, रैट-स्नेक अर्थात् धामिन तथा अनेक अन्य प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। गोह, गिरगिट तथा अनेक अन्य सरीसृप इस भाग में देखे जा सकते हैं।
मगरमच्छ
भारत में उपस्थित तीनों प्रकार के मगरमच्छ आप यहाँ देख सकते हैं। खारे जल के मगरमच्छ, मीठे जल के मगर तथा घड़ियाल, तीनों प्रजातियों का इस उद्यान में प्रजनन किया जाता है। उनकी प्रजनन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में आप इन दीर्घजीवी प्रजातियों को देख सकते हैं। आप देख सकते हैं कि किस प्रकार ये शक्तिशाली व खूंखार प्राणी छोटे छोटे शिशुओं से विशालकाय प्राणियों में परिवर्तित होते हैं।
खारे जल के मगर मूलतः नदी के मुहाने तथा समुद्री जल के समीप पनपते हैं। मगर की ये प्रजाति सर्वाधिक विशालकाय तथा सर्वाधिक दीर्घजीवी होती है। ऐसा कहा जाता है कि वे सम्पूर्ण समुद्र को तैर कर पार कर लेते हैं। ओडिशा का भितर्कनिका वन उनके सर्वोत्तम प्राकृतिक आवास तथा प्रजनन स्थलों में से एक है।
मेरी भितर्कनिका यात्रा के अविस्मरणीय अनुभव यहाँ पढ़ें।
घड़ियाल अर्थात् नदी के जलचर, मीठे जल के प्राणी हैं। भारत में सामान्यतः ये गंगा नदी में पाए जाते हैं। इन्हे इनके मुख से पहचाना जा सकता है। इनका मुख, अन्य प्रजातियों में सर्वाधिक लंबा, संकरा तथा सुडौल होता है जो तेज दांतों से भरा होता है। मगर भी मीठे जल के प्राणी हैं जो साधारणतः नदियों, उथली आर्द्र-भूमि तथा अप्रवाही जल में पाए जाते हैं। मुझे स्मरण है, मैंने उन्हे चम्बल नदी में भी देखा था।
कछुए
नंदनकानन प्राणी उद्यान में जलीय एवं थलीय कछुओं की अनेक प्रजातियाँ हैं। उन्हे उनके वयानुसार वर्गीकृत कर रखा हुआ है।
इन कछुओं में लुप्तप्राय भारतीय स्टार कछुए भी सम्मिलित हैं। आप यहाँ स्थित कछुओं की विविधता देख अचरज में पड़ जाएंगे।
नभचर
इस प्राणी उद्यान में दुर्लभ पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ हैं जिन्हे उनकी प्रजाति के अनुसार भिन्न भिन्न बाड़ों में रखा गया है। इनमें सारस, सुनहरा तीतर, श्वेत मोर, रजत तीतर इत्यादि सम्मिलित हैं।
उद्यान में विशाल जलक्षेत्र हैं जहां अनेक जलपक्षियों ने बसेरा किया हुआ है।
इन जलपक्षियों में बगुले, सुरखिया, पेलिकन अथवा हवासील, सारस इत्यादि सम्मिलित हैं।
यहाँ आप इन पक्षियों को देख सकते हैं:
- कबूद/अंजन अथवा धूसर बगुला (grey heron)
- जामुनी बगुला (purple heron)
- कोकराइ (night heron)
- अंधा बगुला (pond heron)
- काली चोंच वाले किलचिया बगुले (little egret)
- पीली चोंच वाले लघु श्वेत बगुले (intermediate egret)
- पीली चोंच व काली टांगों वाले श्वेत (सुर्खिया) बगुले (great egret)
- चमकीला बुज्जा (glossy ibis)
- काला बुज्जा (black-headed ibis)
- चकवा/सुर्खाब (ruddy shelducks)
- नारंगी बतख (mandarin duck)
- एशियाई घुँगिल (Asian open bill stork)
- जाँघिल (painted stork)
- हवासील (pelicans)
- बाज (eagles)
- चील (kites)
- चहचहाते रंगबिरंगे छोटे तोते (Love Birds)
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नंदनकानन का कंजिया सरोवर
मुझे यह देख अत्यंत प्रसन्नता हुई कि कंजिया सरोवर इस प्राणी उद्यान का ही एक भाग है तथा इस सरोवर में पर्यटकों के लिए मनोरंजक नौका सवारी भी आयोजित की जाती है।
कई पर्यटक सरोवर के जल में नौका सवारी का आनंद उठा रहे थे तथा अनेक पर्यटक नौका सवारी का अनुभव लेने के लिए पंक्ति में खड़े प्रतीक्षा कर रहे थे।
सरोवर के शांत जल में पैडल स्वचालित नौकाएँ तथा यंत्रचलित नौकाएँ लोगों को अत्यंत सुखकर एवं अद्वितीय अनुभव प्रदान कर रहे थे। देश-विदेश के अन्य आधुनिक स्थानों पर नौकाविहार कर आए लोगों को यहाँ की सेवाएं कुछ कमतर प्रतीत हो सकती हैं किन्तु सामान्य पर्यटकों के लिए यह एक रोमांचक अनुभव है।
जलहस्ती अथवा दरियाई घोडा
जलहस्ती अथवा दरियाई घोड़ा इतना विशालकाय प्राणी होता है कि आप इसे अनदेखा कर ही नहीं सकते। नंदनकानन प्राणी उद्यान में इन विशालकाय प्राणियों के लिए कंजिया सरोवर का विशेष भाग निहित किया गया है। जब तक हम प्राणी उद्यान के इस भाग तक पहुंचे, वातावरण अत्यंत उष्ण हो चुका था तथा सूर्यदेव पूर्ण ऊर्जा से दमक रहे थे। दर्जन भर जलहस्ती अपनी देह को शीतलता प्रदान करने के लिए सरोवर के जल में शांतता से तैर रहे थे। जलहस्तियों को शीतल जल में विचरण करना अत्यंत भाता है।
हमने नंदनकानन प्राणी उद्यान में भ्रमण के लिए केवल २-३ घंटों का समय निश्चित किया था। अतः हमें उद्यान के अनेक रोचक क्रियाकलापों से अछूते ही रहना पड़ा था, जैसे सफारी, वनस्पति उद्यान, कंजिया सरोवर में नौकायन तथा कुछ अन्य वन्यप्राणियों के बाड़े।
नंदनकानन प्राणी उद्यान संबंधित यात्रा सुझाव
- इस क्षेत्र की ग्रीष्म ऋतु अत्यंत ऊष्णता भरी होती है। अतः यदि आपने ग्रीष्म ऋतु में नंदनकानन प्राणी उद्यान का भ्रमण नियोजित किया है तो प्रातःकाल का समय निश्चित करें।
- यदि आप मर्यादित समय सीमा में सम्पूर्ण उद्यान की झलक पाना चाहते हों तो पर्यटन परिदर्शक अथवा गाइड की सेवाएं ले सकते हैं।
- यदि आपके पास भुवनेश्वर में आधा दिन या उससे अधिक का समय है तथा आप प्रकृति व वन्यजीवन में रुचि रखते हैं तो वह समय नंदनकानन प्राणी उद्यान में व्यतीत करें। पर्याप्त समय का पूर्ण आनंद उठाने के लिए, पर्यटन परिदर्शक अथवा गाइड की सेवाएं ना लेते हुए, स्वयं ही अपनी गति से सभी प्राणियों को निहारें तथा उनके विषय में जानें।
- उद्यान में सभी पगडंडियाँ पक्की व सुव्यवस्थित हैं जिन पर सभी आवश्यक संकेत एवं सूचनाएं इंगित हैं। सम्पूर्ण मार्ग में, नियमित अंतराल पर, पेयजल, छाँव तथा विश्राम/बैठने की व्यवस्था की गई है। सम्पूर्ण उद्यान में, विभिन्न स्थानों पर, “उद्यान मानचित्र पर आप यहाँ हैं” सूचना पट्टिका लगायी गई है। अतः निश्चिंत रहिए, इस विस्तृत उद्यान में आप मार्ग से नहीं भटकेंगे।
- उद्यान के प्रवेशद्वार पर अनेक जलपानगृह हैं जहां आपको कई स्थानीय व्यंजन प्राप्त हो जाएंगे। यदि आप इस विशाल एवं विस्तृत उद्यान में पर्याप्त समय व्यतीत करना चाहते हैं तो उद्यान में प्रवेश से पूर्व ही पर्याप्त जलपान कर लें। अन्यथा पेट की क्षुधा उद्यान के भ्रमण को असुविधाजनक बना सकती है।
- उद्यान में सैकड़ों पर्यटक भ्रमण करने के लिए आते हैं। सम्पूर्ण उद्यान में उद्यान के कर्मचारी एवं गाइड उपस्थित रहते हैं। अतः किसी भी स्थान पर स्वयं को एकाकी समझ कर व्यथित ना हो। निश्चिंत होकर उद्यान एवं वन्यजीवों का अवलोकन करिए।
- प्राणी उद्यान एवं उसकी समयसारिणी/विशेष आयोजनों से संबंधित, समय समय पर उभरते किसी भी प्रश्न/स्पष्टता/अद्यतनीकरण में प्राणी उद्यान का वेबस्थल अवश्य सहायक होगा।
अनुराधा जी,
वन्यजीवों के मनमोहक छायाचित्रों से परिपूर्ण सुंदर आलेख । भुवनेश्वर का विशाल नंदनकानन प्राणी उद्यान अपने नाम के अनुरूप “नंदनकानन” ही है । इस विशाल प्राणी उद्यान को इसकी स्थापना के लगभग एक दशक बाद जनसामान्य के लिये खोले जाने के पीछे शायद यही उद्देश्य रहा होगा कि तब तक यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक परिवेश को प्राप्त कर सके तथा इसमें रह रहे वन्य प्राणी भी इस परिवेश को स्वाभाविक रूप से अपना सके। यह बहुत ही गौरव की बात है कि अनेक मापदण्डों में इस उद्यान ने वैश्विक स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। भारतीय रेल द्वारा भी एक एक्सप्रेस रेल का नाम इस उद्यान के नाम पर रख कर इस प्राणी उद्यान को गौरवान्वित ही किया है। नंदनकानन प्राणी उद्यान की यात्रा संबंधित सुझाव भी अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं।
सुंदर बहुउपयोगी आलेख , धन्यवाद !
अनुराधाजी एवं मीताजी,
आपने विश्व प्रसिद्ध नंदन कानन प्राणी संग्रहालय एवं उद्यान की संपदा के विषय में विस्तृत माहिती इस लेख में प्रदान की है.
आपने वहां के प्राणियोंकी असंख्य एवं विभिन्न जातियों की सुंदर माहिती प्राप्त की और हमें प्रदान की है.
वहांकी प्राकृतिक संपदा ओंकी भव्यता काभी गहन अध्ययन एवं संपादन किया है.कांजिया सरोवर एवं प्राणी योंके छायाचित्र बहुत ही आकर्षक लगे.इस लेख से आपका प्रकृती और प्राणी योंके प्रति कितना लगाव है वह स्पष्ट होता है.
ह्रदय स्पर्शी एवं उत्तम भाषांतरीत आलेख हेतु बहुत बहुत धन्यवाद.